शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को पूजा करने का मिला अधिकार

शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को पूजा करने का मिला अधिकार






महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर की सैकड़ो साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए मंदिर के ट्रस्ट ने महिलाओं को पूजा करने की अनुमति देने का ऐलान कर दिया है। मंदिर ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि अब महिलाएं भी मंदिर के पवित्र स्थान पर पूजा कर सकेंगी। इसके साथ ही इस मंदिर में महिलाओं की पवित्र चूबतरे की पूजा नहीं करने की 400 साल पुरानी परंपरा का अंत हो जाएगा।



सरकार ने 2011 से लगा रखी थी पाबंदी

गौरतलब है कि सरकार ने 9 फरवरी 2011 से ही चबूतरे में पूजन पर पाबंदी लगा रखी थी। पिछले काफी समय से महिलाएं यहां पूजा करने की कोशिश करती रही हैं, जिनका विरोध हुआ है। इसको लेकर मामला अदालत में भी पहुंचा। अदालत में राज्य सरकार ने साफ़ किया था कि मंदिर में महिलाओं के जाने पर किसी भी तरह की रोक नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि हिन्दू मंदिरों में महिला और पुरुषों को पूजा का समान अधिकार है।



मंदिर की तरफ से किसी भी विवाद से बचने के लिए परंपरा को छोड़ने का ऐलान कर महिला व पुरुष दोनों को ही चबूतरे से दूर रखने का फैसला किया गया था। इस पर लोगों का कहना था कि गुड़ी पड़वा या नव वर्ष के मौके पर देवता को नहलाने की परंपरा का क्या होगा?



बैरिकेड तोड़कर लोगों ने चबूतरे की पूजा की

इस बात को लेकर पहले ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि कुछ लोग इस फैसले का विरोध कर मंदिर में घुसने की कोशिश कर सकते हैं। यह अंदाजा सही साबित हुआ जब शुक्रवार को कुछ भक्त जबर्दस्ती मंदिर परिसर में घुस आए और पवित्र स्थान पर पूजा की। गुड़ी पड़वा के अवसर पर अनुमान के मुताबिक कुछ लोग बैरिकेड तोड़ते हुए पवित्र चबूतरे पर पहुंच गए और पूजा की।




गौरतलब है कि शनिश्वर देवस्थान बचाओ कृति समिति के अध्यक्ष संभाजी दहाहोंडे ने कहा था कि सदियों पुरानी रीति तोड़ने के बजाय मंदिर ट्रस्ट को भगवान शनि के स्नान की इजाजत देनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि वह ट्रस्ट के फैसले के खिलाफ मंदिर के चूबतरे पर जाकर शनि को स्नान कराएंगे। शुक्रवार को ट्रस्ट की ओर से सभी को पूजा करने की इजाजत देने का ऐलान कर दिया।









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