गुरुवार, 9 जून 2016

बिहार में 3 दिन में मारी गईं 200 नीलगाय, मोदी के दो मंत्री हुए आमने-सामने

नई दिल्ली.बिहार में नीलगायों को मारे जाने का ऑर्डर दिए जाने पर मोदी सरकार के दो मंत्री आमने-सामने हो गए हैं। मेनका गांधी ने आरोप लगाया है कि एन्वायरमेंट मिनिस्ट्री राज्यों को लेटर लिखकर जानवरों को मारने के लिए कह रही है। दूसरी ओर एन्वायरमेंट मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि सारे आदेश कानून के दायरे में दिए गए हैं।मेनका का आरोप- 5 राज्यों में जानवरों को मारने का दिया गया आदेश...
- मेनका गांधी ने कहा, ''एन्वायरमेंट मिनिस्ट्री हर राज्य को लेटर लिखकर कह रही है कि आप बताओ किसको मारना है। हम इजाजत देंगे।''
- ''बंगाल में उन्होंने कह दिया कि हाथियों को मार दो। हिमाचल में उन्होंने कह दिया कि बंदरों को मार दो, गोवा में कह दिया मोरों को मारो।''
- ''महाराष्ट्र के चंद्रपुर में उन्होंने अभी 53 जंगली सूअर मारे हैं। 50 और को मारने की इजाजत मिली है। हालांकि, उनके अपने वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने कहा कि हम नहीं मारना चाहते।''
- ''ये पहली दफा है कि एन्वायरमेंट मिनिस्ट्री इजाजत दे रही है।''
- बता दें कि मेनका वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट मिनिस्टर हैं, लेकिन एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट रही हैं।
- इस मामले में विवाद तब बढ़ा, जब हाल ही में बिहार के मोकामा में नीलगायों को मारने का आदेश जारी हुआ।
- मेनका गांधी ने कहा कि बिहार में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर जानवरों को मारा गया है। 
- यहां कोई इसके लिए तैयार नहीं हुआ तो बाहर से लोगों को बुलाया गया।
क्यों शुरू हुआ ये विवाद
- मोकामा में हैदराबाद से आए शूटरों ने पिछले तीन दिन में 200 से ज्यादा नीलगायों को मारा है।
- दो हजार से ज्यादा नीलगायों को जंगली इलाकों में खदेड़ा जा चुका है।
- हैदराबाद के शूटर नवाब शफाथ अली खान और उनके साथी पिछले 4 दिन ऑपरेशन नीलगाय में जुटे हैं। 
- एक अनुमान के मुताबिक मोकामा टाल में 10 हजार से ज्यादा नीलगाय हैं। ये नीलगाय हर साल लाखों रुपए की फसल बर्बाद कर देते हैं।
मेनका के आरोपों पर जावड़ेकर का जवाब
- मेनका के आरोपों के बाद एन्वायरमेंट मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ''जब राज्य सरकार ने हमें लेटर लिखकर इन जानवरों द्वारा फसल बर्बाद करने से किसानों को हो रही परेशानी के बारे में बताती है। तभी हम इस तरह की परमिशन देते हैं।''
- जावड़ेकर ने कहा कि ये सभी एक्शन राज्य सरकारों की सिफारिश के बाद लिए गए।
- ये केंद्र का कार्यक्रम नहीं है। यह पहले से बने कानून के हिसाब से हो रहा है।

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