जयपुर में अब भी होली रंग जमाती है गुलाल गोटों के साथ
जयपुर : होली के अवसर पर गुलाल गोटों से खेले जाने वाले गुलाल गोटे की परम्परा जयपुर में आज भी कायम है। मणिहारों के रास्ता निवासी गुलाल गोटे बनाने वाले बब्बू खान मणिहार जो कि इस काम के लिए पूरे जयपुर में फेमस हैं कहते हैं कि लगभग 300 वर्ष पूर्व राजधानी आमेर में राजा महाराजाओं ने होली खेलने के लिए गुलाल गोटों का इस्तेमाल किया था। होली पर्व के एक दो सप्ताह पहले से ही महलों में राजा और उनके अंगरक्षक अन्य प्रांतों के राजाओं के साथ हाथी पर बैठकर एक दूसरे के ऊपर गुलाल गोटे फेंक कर होली मनाते थे।
उन्होंने कहा कि उस वक्त उनके पुरखे राजपरिवारों के लिए विभिन्न प्रकार के गुलाल गोटे एवं पिचकारियां बनाते थे। नया जयपुर शहर बसने के बाद भी इस त्यौहार का रंग फीका नहीं पड़ा है और आज भी शहरवासी गुलाल एवं गुलाल गोटा मारकर इस त्यौहार को रंग बिरंगें अंदाज से मनाते है। मणिहार ने कहा कि अब इन गुलाल गोटों की मांग राजपरिवारों से ज्यादा देश के बाहर रह रहे प्रवासी भारतीयों में है। फिलहाल वह जोधपुर के राजपरिवार, भरतपुर राजपरिवार और करौली के राजपरिवारों के लिए विशेष गुलाल गोटे बनाते है।
उन्होंने कहा कि विदेशी लोग भी एक दूसरे को खुशबूदार गुलाल से भरे गुलाल गोटा मारकर होली का आनंद लेते है। प्रवासी भारतीयों के कारण भारत का यह रंगीन त्यौहार विदेशियों को भी भाने लगा है। पूरे विश्व से लाखों विदेशी होली पर भारत आकर इस पर्व में शामिल होते है। प्रवासी भारतीय होली में मस्ती घोलने के लिए जयपुर आकर हर वर्ष गुलाल गोटे खरीदते है और इन गुलाल गोटों की मांग प्रति वर्ष बढ़ती जा रही है। होली पर्व से महीनेभर पहले से ही आर्डर बुक करते हैं।
मणिहार बताते हैं कि वह और उनके परिवार होली से एक दो महीने पहले से ही इस काम में जुड जाते है और देश के अनेक प्रांतों में गुलाल गोटे पहुंचाते है। इनके अलावा विदेशी धरती पर भी आज यह अपनी अलग पहचान बना चुका है। गुलाल गोटे के विशेषज्ञ ने बताया कि इस वर्ष दो लाख गुलाल गोटे का आर्डर है। इनमें करीब 30 हजार गोटों की मांग विदेशों से ही है इनमें अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, ब्रिटेन स्पेन नार्वे ,इटली ,आस्ट्रेलिया ,नेपाल जैसे दर्जनों देश शामिल है। इनके अलावा भारत के बाजारों में भी गोटों की विशेष मांग है।
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