शुक्रवार, 18 मार्च 2016

समलैंगिकता के लिए सजा नहीं, यह निजी मसला: RSS


समलैंगिकता के लिए सजा नहीं, यह निजी मसला: RSS




नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसाबले ने आज कहा कि समलैंगिकता के लिए सजा नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह लोगों का निजी मसला है। होसाबले ने एक निजी मीडिया हाउस द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि समलैंंगिक होना लोगों का निजी मसला है। मैं मानता हूं कि इससे अगर अन्य लोगों का जीवन प्रभावित नहीं होता है तो समलैंंगिकता के लिए सजा नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि संघ में ऐसे मसलों पर चर्चा नहीं की जाती।



बता दें कि भारत उन 70 देशों में से एक है जहां समलैंगिकता आपराधिक कृत्य है। धारा 377 के तहत समलैंगिकता को को अप्राकृतिक संबंध की श्रेणी में रखा गया है। इसमें 10 साल तक की सजा हो सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2009 में धारा 377 को रद्द कर दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में 158 साल पुराने कानून की इस धारा को बरकरार रखा। एलजीबीटी कम्युनिटी को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के अपने आदेश का रिव्यू करने के लिए दायर क्यूरेटिव पिटीशन कॉन्स्टिट्यूशन बेंच को सौंप दी।



वहीं संघ में महिलाओं को शामिल किए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि कोई भी परिवर्तन रातोंरात नहीं होता। हिंदुत्व के बारे में होसाबले ने कहा कि इतिहास में अब तक हिंदू कभी आक्रमक नहीं रहे। कुछ लोग जानबूझकर इस तरह का डर पैदा कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर सर संघचालक मोहन भागवत स्पष्ट कर चुके हैं कि जब तक सामाजिक भेदभाव कायम है, आरक्षण जारी रहना चाहिए। होसाबले ने कहा कि रामजन्मभूमि पर मंदिर बनाना हमारा सपना है और लोगों की इच्छा है। हमें उम्मीद है कि वर्तमान सरकार इसके लिए रास्ता साफ करेगी।

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