शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

देश में पहली बार 25 किलो की चांदी के अष्ट कमल दल पर कान्हा का प्राकट्य

 देश में पहली बार 25 किलो की चांदी के अष्ट कमल दल पर कान्हा का प्राकट्य, इस बार जन्माष्टमी की थीम बेटी बचाओ


मथुरा.भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान में पहली बार कान्हा का प्राकट्य 25 किलो की चांदी के अष्ट कमल पर हुआ। संयोग ही है कि इस वर्ष ग्रह-नक्षत्रों के योग ठीक वैसे ही रहा, जैसा हजारों साल पहले भगवान के जन्म के वक्त था। कान्हा की नगरी में जन्‍मोत्‍सव मनाने जुटे श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था। जन्म के साथ ही मथुरा में हर ओर ढोल-मजीरे पर कीर्तन...
- जन्मस्थान में पहली बार कान्हा का प्राकट्य चांदी के कमल से हुआ। इस कमल को इस तरह डिजाइन की गई थी कि जन्म की घड़ी आते ही पंखुड़ियां अपने आप खुलने लगी और कृष्ण ने सबको दर्शन दिया।
- रात को 12 बजे भगवान के जन्म के साथ ही मथुरा की गलियों में हर ओर मंगल ध्वनि और कीर्तन सुनाई दे रहा था।
- जन्माष्टमी के मौके पर कई विदेशी श्रद्धालु भी वहां पहुंचे हुए थे। 'नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' का कीर्तन सभी मंदिरों और गलियों में सुनाई दिया।
- कई जगह तो भक्त भगवान की पालकी सिर पर रखकर भक्तिभाव में मगन नजर आ रहे थे।
- जन्माष्टमी के मौके पर यहां के सभी छोटे-बड़े मंदिरों और राधा-कृष्‍ण की प्रतिमाओं का भव्‍य श्रृंगार किया गया। इस बार जन्माष्टमी की थीम बेटी बचाओ रही।
पढ़ें मथुरा से जन्माष्टमी के बड़े अपडेट्स...

12.45 AM :जन्‍मस्‍थाली के अंदर और बाहर लग रहे जय कन्‍हैया लाल की, मदन गोपाल की गूंज रहे थे।
12.40 AM :कई सारे भक्‍त बाल कृष्‍ण के दर्शन के लिए बाहर इंतजार कर रहे थे। 
12.35 AM :जन्‍म स्‍थली पर भक्‍तों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। 
12.31 AM : यहां पहुंचे श्रद्धालु मोबाइल से आरती का वीडियो शूट करते दिखे।
12.30 AM : अभिषेक के बाद बालकृष्‍ण की भव्‍य आरती शुरू।
12.21 AM : पोशाक को पुष्पाम्बुज नाम दिया गया है। इसमें पत्तियों की डिजाइन को इस तरह उकेरा है कि इस पर रोशनी पड़ते ही इसके रंग श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है।
12.20 AM : वृंदावन के इस्‍कॉन टेम्‍पल में भी किया गया बाल गोपाल का अभिषेक। 
12.20 AM: चांदी के अष्ट कमल दल पर जन्‍म के बाद बालकृष्ण को सतरंगी पोशाक पहनाया गया।
12.15 AM :अभिषेक के साथ ही आसमान से फूलों की बारिश की गई।
12.12 AM : अयोध्या के महंत नृत्यगोपाल दास महाराज, अनुराग डालमिया ने किया अभिषेक।
12:01 AM : भगवान के प्राकट्य के साथ ही पूरा मंदिर परिसर हरिबोल की ध्वनि से गूंज उठा।
12:01 AM :बाल गोपाल का जन्‍म होते ही परिसर में बजे ढोल-नगाड़े।
12.01 AM :कान्हा के जन्म के साथ ही जयकारों से गूंज उठी श्याम नगरी, हर ओर कीर्तन। 
12.00 AM :बाल गोपाल ने अष्ट कमल दल में लिया जन्‍म।
11.55 PM :कमल दल की आठ पंखुड़ियों के खुलते ही भगवान कृष्ण का प्रकाष्टवय स्वकरूप दिखाई देगा।
11.48 PM : कान्हा अष्ट कमल दल पर प्रगट होने वाले हैं। यह 25 किलो वजन की चांदी का बनवाया गया है।
11.45 PM :श्री गणेश व नवग्रह पूजन शुरू। 
11.35 PM : अब श्री गणेश व नवग्रह पूजन शुरू होने वाला है।
11.30 PM : भागवत भवन के श्रीकेशवदेव मंदिर में ढोल-नगाड़े, झांझ-मजीरे, संकीर्तन के बीच भगवान श्री राधाकृष्ण की दिव्य दर्शन हो रहा है।

इस बार नक्षत्रों का अद्भुत संयोग
- इस बार यह त्योहार और भी खास हैै, क्‍योंकि गृह, नक्षत्रों का वैसा ही संयोग पड़ रहा है जैसा श्री कृष्ण के जन्म के समय था। ऐसा संयोग हर बार नहीं होता है। 
मथुरा-वृंदावन में कुछ इस तरह रहा इंतजाम
जन्मस्थान की ओर जाने वाली सभी सड़कों पर लाल कालीन बिछाए गए। कोई घर ऐसा नहीं दिखा, जहां पीले, नारंगी, हरी पत्तियों की तोरण पताकाएं न लगीं हों। हर दरवाजे पर रंगोली सजी दिखी। कोई दीवार ऐसी नहीं थी जिस पर कुमकुम के साथिए न बने हों।
इस बार जन्माष्टमी की थीम बेटी बचाओ
- इस बार कृष्ण जन्मोत्सव की थीम बेटी बचाओ रखी गई। मथुरा में जन्मस्थान के आसपास के इलाके में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के पोस्टर लगे हैं।
- रियो में मेडल जीतने वाली पीवी सिंधु और साक्षी मलिक की तस्वीरें दिखीं। मथुरा के एक अफसर बताते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी पर लोगों को शपथ दिलवाई जा रही है कि अब बेटी को न मरने देंगे। यही कृष्ण के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धा होगी। द्वापर युग में भी कान्हा के बदले लाई गई आठवीं संतान, जो कि लड़की थी, कंस के हाथों से छिटककर आसमान में चली गई थी।
- पुजारी कपिल शर्मा कहते हैं कि अभिषेक के समय पंडितों की ओर से जो उत्सव संकल्प दिलाया गया, वह कन्या बचाने का था।
- इस बार जन्माष्टमी पर करीब 30 लाख लोग मथुरा-वृंदावन पहुंचे। पिछली बार ये संख्या 20 लाख थी।
जन्माष्टमी पर मथुरा में बाजार से खरीदकर खाने की जरूरत नहीं
- सबसे खास बात यह है कि यहां के तमाम मंदिरों में ठाकुरजी के भोग और भंडारे के इतने ज्यादा हैं कि किसी को भी बाजार से खरीदकर कुछ खाने की जरूरत नहीं।
- मथुरा आने वालों की संख्या बुधवार सुबह से ही बढ़ती गई। श्रद्धालु अपनी गाड़ी से ब्रज की धरती पर पैर रखते ही सबसे पहले उसे छूकर प्रणाम कर रहे थे, ब्रज रज (मिट्‌टी) को अपने सिर पर लगाते, कई लोग जमीन पर साक्षात दंडवत करते दिखे।
- कृष्ण की जन्म व लीला भूमि का स्पर्श करके वे खुद को धन्य मान रहे थे। बीच-बीच में कन्हैया लाल की जय, बंशीवाले का जयकारा गूंजता। आॅटो, रिक्शा, बाइक, स्कूटर वाले हॉर्न बजाने के बजाय जोर से राधे-राधे कहते, सामने वाला सुनता और राधे-राधे कहता हुआ एक तरफ हट जाता।
केशवदेव मंदिर में जन्माष्टमी का अभिषेक

- जन्मस्थान परिसर स्थित केशवदेव मंदिर में बुधवार रात को ही जन्माष्टमी का अभिषेक हुआ। वहां के पुजारी कहते हैं कि रोहिणी नक्षत्र होने के चलते ऐसा किया गया।
- जबकि जन्मस्थान के मुख्य मंदिर भागवत भवन और द्वारिकाधीश मंदिर और वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर और राधारमण मंदिर सहित भारत के अधिकांश मंदिरों में गुरुवार को जन्माष्टमी मनाई गई।
- जबकि नंदगांव में रिवाज के मुताबिक सलूनो (रक्षा बंधन) के नवें दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसलिए वहां शुक्रवार को जन्माष्टमी मनेगी।

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