बुधवार, 24 अगस्त 2016

महिला कुश्ती में पहला ब्रॉन्ज जीतकर लौटीं साक्षी का जोरदार स्वागत

महिला कुश्ती में पहला ब्रॉन्ज जीतकर लौटीं साक्षी का जोरदार स्वागत, एयरपोर्ट पर रिसीव करने पहुंचे हरियाणा के 5 मंत्री


रोहतक.महिला कुश्ती में देश को पहला ओलिंपिक मेडल दिलाने वाली साक्षी मलिक का भारत लौटने पर जोरदार स्वागत किया गया। बुधवार सुबह 3.30 बजे साक्षी दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उतरीं। उन्हें रिसीव करने के लिए हरियाणा सरकार ने अपने 5 मंत्री भेजे। साक्षी का परिवार और गांव के करीबी लोग भी वहां पहुंचे। रोहतक में अपने गांव तक साक्षी का रोड शो होगा। बहादुरगढ़ में होगा सम्मान...
- दिल्ली एयरपोर्ट पर साक्षी को रिसीव करने के लिए हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज, कविता जैन आदि पहुंचे।
- साक्षी का विजय जुलूस में रोहतक के पास मोखरा गांव की तरफ जाएगा। 
- साक्षी को रिसीव करने के लिए उनके परिवार के सदस्य मंगलवार आधी रात को ही दिल्ली रवाना हो गए थे। 
- साक्षी को हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर बहादुरगढ़ में सम्मानित करेंगे। वे साक्षी को 2.5 करोड़ रुपए का चेक देंगे।
12 साल का सपना पूरा हुआ
- साक्षी मलिक ने कहा कि उनका 12 साल पुराना सपना पूरा हुआ है। 
- वहीं पिता सुखबीर मलिक ने बताया कि एक वक्त था, जब 2003 में बेटी ने पहली बार कुश्ती में एंट्री की तो लोगों की बहुत सुननी पड़ी थी, लेकिन बेटी का हौसला देखकर हमारा भी हौसला बढ़ा। देश और प्रदेश सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दे चुकी है। मेरा मानना है कि बेटी खिलाओ का नारा भी दिया जाना चाहिए।
- सुखबीर मलिक ने कहा कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतना हुजूम उमड़ेगा, देशवासियों से इतना प्यार मिलेगा। ओलिंपिक में 12 दिन बीत जाने के बावजूद देश के नाम कोई मेडल नहीं था और जब से उनकी बेटी ने यह मेडल जीता है, तभी से हर कोई पलकें बिछाए इस पल का इंतजार कर रहा था।
साक्षी ने खेला था कमाल का मैच
बता दें कि ओलिंपिक के 12वें दिन 23 साल की रेसलर साक्षी मलिक ने कमाल का मैच खेला। वे 58 किलो की फ्री-स्टाइल रेसलिंग में किर्गिस्तान की रेसलर एसुलू तिनिबेकोवा से 5-0 के बड़े मार्जिन से पिछड़ रही थीं, लेकिन उन्होंने आखिरी 9 सेकंड में बाजी पलटकर भारत को ब्रॉन्ज दिला दिया। महिला रेसलिंग में भारत का किसी भी अोलिंपिक का पहला मेडल है।
51 किलो की गदा से होगा सम्मान
साक्षी को सम्मान में 51 किलो की गदा दी जा सकती है। क्योंकि एक पहलवान का सम्मान गदा देकर करना सबसे बेहतर माना जा रहा है।
साक्षी का मंच होगा सबसे ऊंचा
मोखरा के रहने वाले फूलकुमार मलिक ने बताया कि पंडाल में तीन मंच बनाए जाएंगे। साक्षी का मंच सबसे ऊंचा होगा। एक मंच वीआईपी लोगों के लिए होगा तो तीसरा मंच गणमान्य व्यक्तियों और प्रेस के लिए।

#Rio में भारत को पहला मेडल दिलाने वालीं साक्षी की जिद और जुनून के 5 किस्से
किस्सा - 1
आखिरी 10 सेकंड में नहीं मानी हार

- साक्षी मलिक ने मेडल जीतने के बाद बताया, "आज पूरे दिन नेगेटिविटी नहीं आई। आखिरी पड़ाव पर मेरे पास 10 सेकंड ही थे। मैंने 2-2 सेकंड में कुश्ती बदलते देखी है तो सोचा कि 10 सेकंड में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? लड़ना है, मेडल लेना है। यही दिमाग में था कि मेडल तो मेरा है। आखिरी में मैं जो प्वाइंट जीत पाई उसका कारण था कि क्योंकि मैं उन दस सेकंड में हार नहीं मानी थी।''
किस्सा - 2
पहलवान बनकर प्लेन बैठने की ख्वाहिश

- साक्षी के पिता पिता सुखबीर मलिक बताते हैं, ''साक्षी शुरू से बोलती थी कि पापा मैं पहलवान बनकर प्लेन में बैठूंगी और ओलिंपिक मेडल जीतूंगी। साक्षी ने भी कहा, ''रेसलर इसलिए बनी क्योंकि प्लेन में बैठने की ख्वाहिश थी। रेसलर बनना बहुत बड़ा सपना था। मेडल सपनों में आता था।''
किस्सा - 3
कुश्ती की ड्रेस देखी तो रेसलर बनने की ठान ली

- परिवार चाहता था कि साक्षी जिम्नास्टिक्स सीखे। लेकिन बाकी गेम साक्षी को पसंद नहीं अाए। कुश्ती हॉल में पहुंची तो पहलवानों को कुश्ती ड्रेस में देखा। ड्रेस ऐसी पसंद आई तो कुश्ती सीखने का इरादा पक्का कर लिया।
किस्सा - 4
जब मां ने कहा- पहलवानों में बुद्धि कम होती है

- मां सुदेश मलिक नहीं चाहती थीं कि बेटी पहलवान बने। उनका मानना था कि पहलवानों में बुद्धि कम होती है। बेटी रेसलर बनी तो पढ़ाई में पिछड़ जाएगी। लेकिन साक्षी ने ऐसा नहीं होने दिया। स्कूल में हर साल एवरेज 70% मार्क्स हासिल किए। इसी के साथ लगातार 12 साल पांच-पांच रेसलिंग की प्रैक्टिस की।
किस्सा - 5
देश के लिए मेडल जीतकर कोई थकता नहीं

- मां सुदेश मलिक ने कहा, ''जीत के बाद साक्षी से बात हुई। मैंने उससे पूछा कि क्या तुम थक गई हो, तो वो बोली कि देश के लिए मेडल जीतने के बाद कोई थकता नहीं है।''
- कोच कुलदीप सिंह ने कहा, ''इस बच्ची ने मुझे जिंदगी का सबसे बेहतरीन तोहफा दे दिया है। मैं जिंदगीभर उसका कर्जदार रहूंगा।''

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